Thursday, September 9, 2010

कैसे बताऊ तुम बिन कैसे वक्त बिता रहा हें ,


दिल रो रहा हें में फिर भी मुस्कुरा रहा हें ,



तम्हारे सिवा कौन हें , बात करू में जिससे ,

बैठा एक कौने में खुद से ही बतिया रहा हूूॅ,

कैसे बताऊ याद तुम्हारी कितना सता रही हें,

तुमसे हें मुझे प्यार कितना अहसार दिला रही हें,



एक दूर तुम्हारे जाने से सितम ये हुआ ,

रह रह के बाते तेरी मुझको रूला रही हें,

शायद तुम्हे भी याद मेरी आ रही होगी ,

हें यकी मुझे ये तुमको सता रही होगी ,



आॅखो में आॅसू नही तो मिलने की कसक जरूर ,

उड कर आ जाने की चाह दिल में जगा रही होगी,

मन तुम्हारा भी काम में न लग रहा होगा ,

बस मेरा ही चेहरा आॅखो में बस रहा होगा ,



सोच रही हागी ,कब वापस जाऊगी में,

देखने को मुझे मन तरस रहा होगा,

सोचता हें आते ही तेरे क्या करूगा में,

छलक आयेंगे आॅसू या हसूॅगा में,



कुछ भी अब मुझको चाहे कहना सनम,

बढ कर तेरा हाथ अब थाम लूॅगा में,

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