Wednesday, October 13, 2010

तुम से लगा के दिल कही लगाया भी नही जाता

तुम से लगा के दिल कही लगाया भी नही जाता,

जो हो चूका औरो का उसे अपनाया भी नही जाता,
दुख ना करना देख कर चोट मेरे माथे की ,
जख्म ऐसा हैं दिल पे जो दिखाया भी नही जाता,
हिसाब देंगे क्या मेरी सर्द आंहो का वो,
उनसे तो ठीक से अभी मुस्काराया भी नही जाता,
देख कर मेरे गम रो न दे कोई ,
इस डर से फसाना दिल का सुनाया भी नही जाता,
लाख कोशिश की मगर वो न गया दिल से,
जिस्म का हिस्सा है निकाला भी नही जाता,
कैसे पाऊ निजाद अब उसकी यादो से मै,
यूँ मौहब्बत का दीपक बुझाया भी नही जाता,

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