Monday, October 11, 2010

वो आशिक भी कितने मजबूर होते है  ,
अपने महबुब से जो बहुत दूर होते है ,
कभी चूमते हें खत को कभी सीने से लगरते हें,
तन्हाई में याद करके जी भर के सोते हें,
हमको मिली जुदाई ये भी रहमत खुदा की ,
जिष्म बेशक हो दिल से दिल कब दूर होते हें ,
उनसे करना शिकवा क्या जो बेवफा हो गये,
जाने क्यू उसके लिऐ हम यू चूर होते हें ,
जोडा हें तूने या मैने रिस्ता ना तू समझ,
रिस्ते वही जुडते हें जो रब को मंजूर होतें हें ,
हसॅना कभी रोना कभी मिलना कभी जुदाई,
हॅस के लगा दिल से मुहब्बत कें दस्तूर होते हें ,
देखे बिना जिनको नही दिल को होता सॅकू ,
चेहरे वही दीपक क्यो आॅखो से दूर होते हें,

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