Monday, October 11, 2010

ये कैसी भावना है ,

 है कैसी ये आस,
जगाता है प्रतिदिन मेरे,
मन में नया अहसास,
एक तेरे स्पर्श   ने,
 ये कैसी प्यास जगायी है ,
हजारो इच्छाओ ने,
मन में ली अंगडाई,
जाने किन सपनो में, मन ये खोने लगा ,
बंद करके पलको को, दीदार तेरा होने लगा,
बावरा सा हुआ में,
जाने क्या क्या चाहूँ  ,
कभी नाचने लग्गों मै
कभी जौर से गॅाऊ,
अमावस की काली रात में,
चाँद  को बुलाने लगा,
पतझड के मौसम को भी,
सावन मै  बताने लगा
कभी इच्छा हूई तारो को,
में धरती पर ले आऊँ
समेट कर उन सब को,
तेरी मांग  में सजाऊ,
कभी इच्छा हूई बादलो को,
काजल में तेरा बना दूं ,
रंग लेकर  के सारे,
आँचल  में तेरा सजा दूं ,
नित नई इच्छा एक,
अपने में रंग बदलती है ,
न जाने ये कौन सी,
भावना मन में पलती है
पहले तो न ऐसा कभी,
मेरे  मन में आया,
भावनाये ये जागी उस पल,
स्पर्श  तेरा जब पाया,
अब तो बहुत कठिन ,
इस मन को थामना है ,
तुमको पाने की जागी ,
ये कैसी भावना है ,

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