Monday, October 11, 2010

आँखों  से जब वो प्यार कर गयी,

मेरी  जिन्दगी को बहार कर गयी,
पाक दामनी पे था नाज हमको,
मुहब्बत   का अपनी गुनाहगार कर गयी,
डसकी एक नजर पे लूटा दूं  जिन्दगी,
वेा तीर ए नजर दिल के पार कर गयी,
चाँद  भी न होगा खूबसूरत उससे,
चांदनी  को फीका वो मेरे यार कर गयी,
झूठी दुनिया है झूठी है सारी उल्फत,
फिर भी दिवाने पे वो ऐतबार  कर गयी,
रौशनी जिस कमरे में कर न सका दीपक ,
उस कमरे को रौशन उठा के नकाब कर गयी,

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