Monday, October 11, 2010

लोग आते हें ओर चले जाते है

कुछ सुनते हें कुछ सुनाते है
बस जाता हें कोई आके ख्यालो में,
दीदार के किसी के धागे ही टूट जाते है
हर कोई छूले आसमान  ये जरूरी नही ,
  सपने सब के ही कब पूरे हो पाते है
लिख जाता हें कोई सितारो मे नाम अपना,
कुछ गुमनाम ही अॅधेरो में खो  जाते है,
धुतकार देती हें किसी को ये दूनिया ,
सभी किसी को गले से लगाते है,
क्या हें र्फक उनमे ओर मुझमें ‘दीपक’,
ये सितारे हैं  अपना खेल दिखाते है,

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