Sunday, September 17, 2017

आहुति अधूरी है

प्रेम के हवन की कुछ आहुति अधूरी है
दबी भावनाओं का निकलना जरूरी है
गुजर गए बरसो यूं ही बिना बरसे ही
मुहब्बत के बादलो का पिघलना जरूरी है
तू एक बार कहदे, सारे बंधन तोड़ आऊ
जिन्दा रहना है तो अब मिलना जरुरी है
तेरी बाँहो में लिपट के जीना या मर जाना
अंजाम कुछ भी हो, लिपटना जरूरी है
जानता हूँ , अब गलत है , जो कह रहा हूँ मै
अपने किये वादे पर तुझे भी चलना जरूरी है
जाने कब साँझ हो जाये मेरे जीवन की
तेरे प्रेम का आखरी दीपक जलना जरूरी है

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