Thursday, November 1, 2018

सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो,

शब्दो मे कैसे कह दूं तुमको,मुझको मौन ही रहने दो,
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो,
         अंतिम मिलन है ये अपना, है अंतिम ये बात
         दिन प्रणय का ढलने लगा, अब होगी विरह की रात
        मेरे कारण न दुखी होना, न करना कोई संताप
        समय का मरहम भर देगा, हर जख्म को अपने आप
रोकना मत आंसू अपने, इनको बाहर बहने दो
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो
        सोना भी जो शरीर को काटे, उस गहने को फोड़ दो
        रिस्ता भी जो टेंशन बांटे, उस रिश्ते को तोड़ दो
        तेरा मेरा रिश्ता पावन, पर तुमको बहुत डराता है
        रात दिन तेरे सर को खाये, तुझको बहुत सताता है
प्रेम किया है मन से तो, बस इसे मन में ही रहने दो
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो
       अधूरा रहा प्रेम हमेशा, पूरा हुआ किसका कब
       छोड़ो सोचना मेरे बारे में, प्रियतम मेरे तुम भी अब
       किसी के बिना न कोई मरता, दुनिया मे जीते सब
       अपने अपनो पर ध्यान लगाओ भली करेगा तेरी रब
पीड़ा होगी थोड़ी बहुत, इस पीड़ा को सहने दो
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो
        यूँ डर डर के जीना भी है क्या कोई जीना
        घुट घुट आंहे भरना और अपने आँसू पीना
       अपने मन की भावनाओं का अब गला दबा दो
       बेहतर यही होगा कि तुम अब मुझे भूला दो
प्रेम मन मे अमिट रहेगा, दुरियों को रहने दो
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो

        

Sunday, October 14, 2018

मुक्तक

छूटेगा साथ तेरा तो बिखर ही जाऊंगा
दूर रह के तुझसे ना जीवन बिताऊँगा
तुझ से बिछड़ के गर मैं मर ही गया तो
भूत बनके रोज तेरी खटिया हिलाऊंगा

जब भी देंगे इम्तिहान, करेंगे पर्चा अपना अपना
तभी तो होगा, जब भी होगा चर्चा अपना अपना
तुम मेरे और मै तुम्हारा तो दिल से है मेरे यार
दोस्ती अपनी पक्की  मगर खर्चा अपना अपना

वो मेरी जान हमेशा मुझसे हंस के बोलती है
बहुत प्यार करती है, और हर राज खोलती है
जीवन के झपेटो ने व्यापारी बना दिया उसे
अब प्यार के तोहफे भी वो पैसों में तोलती है

Thursday, September 13, 2018

बहुत पास आकर अब दूर जा रहे हो

बहुत पास आकर अब दूर जा रहे हो
सजा मुझको देते हो या खुद पा रहे हो
     मोहब्बत के सारे कसमे वादे
     भूलने लगे क्यो सारे इरादे
     मुझे देख जीना मुझे देख मरना
     चाहत में ऐसा भी था काम करना
     खफा क्यो मुझसे कुछ तो बताओ
     में बुलाता इधर हूँ तुम उधर जा रहे हो
बहुत पास आकर अब दूर जा रहे हो
सजा मुझको देते हो या खुद पा रहे हो
    यूँ मुझसे नजरें चुराओगे कब तक
    प्यार अपने दिल मे दबाओगे कब तक
    माना के किस्मत से बहुत से गिले है
    मिलकर के बिछड़े और अब फिर मिले है
    चाहत थी चाहतो का घर है बनाना
    अब बन रहा है तो क्यो दीवारे ढा रहे हो
बहुत पास आकर अब दूर जा रहे हो
सजा मुझको देते हो या खुद पा रहे हो

Monday, August 27, 2018

कितने दुख सहे तुमने

कितने दुख सहे तुमने, सहे कितने अत्याचार,
तन की पीड़ा, मन की पीड़ा, मिले आंसू अपार,
कमजोर था,  साथ तुमको लेकर चल नही पाया,
अपने मन की देवी बिठा दी, किसी दूजे के द्वार,
         की होती हिम्मत थोड़ी , जीवन का अलग रंग होता,
         मुस्कुराती जिंदगी और खुशियों का भी ढंग होता,
         ना मजबूर तुम होती, और न तेरे फैसले गलत होते,
         जीवन के  कठिन दौर में यदि उस दिन तेरे संग होता
हम राह ना बनाया किस्मत ने, पर साथ तो चलता
दूर से ही सही लेकिन कुछ बात तो करता
कुछ तो हौसला मिलता किसी के साथ होने का,
उस मुश्किल घड़ी में शायद तेरा फैसला बदलता
           कोई हक नही अब तुझपे इल्जाम लगाने का
            तेरे जीवन पर किसी को उंगली उठाने का
            अनगिन संघर्षो से भरे तेरे जीवन कोे सलाम
            जो प्यार में लुटा, और गम न किया लुट जाने का

Tuesday, July 24, 2018

तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है

तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
         यूँ ही रात भर जागने क्या मतलब
         तकिये भिगोने का आधार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
        एक तेरे ही बिना जी ना लगे
        साथ हो सारा संसार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
        अंखिया तो तेरे दर्शन की प्यासी
        सामने मोहक चेहरों का अंबार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
      तेरे प्रेंम में भीगना चाहे ये मन
      फिर सावन की ठंडी फुहार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
      जिससे बंधे हुए है आज तक
      उस रिश्ते का प्रकार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
      माना अब नही बात पहले सी
      मन मे फिर भी ये गुबार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
    डर तुमको अब लोक लाज का
     मेरा कहो अब अधिकार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
    
     
      
   

Tuesday, July 17, 2018

हमने तो चाहा था प्यार

हमने तो चाहा था प्यार, हमेशा दिया तुमने तिरस्कार
      प्रिय अभी तुम हो रूपसी, कंचन काया ज्यों धूप सी
     अंग अंग मुस्काते फूल, मादकता में गयी हो भूल
     अमिट मेरा प्रेम केवल, मिट जायेगा यौवन श्रंगार
हमने तो चाहा था प्यार, हमेशा दिया तुमने तिरस्कार
      हर आवश्यकता पर हाथ दिया, मांगा हर पल साथ दिया
     सोचा कभी ना आगे पीछे, देखा कभी ना ऊपर नीचे
     हमे छल गयी तेरी आँखे, तेरी आँखों को संसार
हमने तो चाहा था प्यार, हमेशा दिया तुमने तिरस्कार
      हमने तो प्रेम योग किया, तुमने हमे उपयोग किया
      हमने हर ली पथ की बाधा, तुमने हित बस अपना साधा
      इस मन थी प्यास प्रेम की, उस मन भरे हुए थे अंगार
हमने तो चाहा था प्यार, हमेशा दिया तुमने तिरस्कार
     तेरे यौवन का रस न चाहा, मादकता पर बस न चाहा
     चाहे तो बस प्रेम के बोल, कह देते बस अधरों को खोल
     "इस मन भी प्रेम जोत जली, रोशन जिससे ये संसार"
हमने तो चाहा था प्यार, हमेशा दिया तुमने तिरस्कार
    नैनो में दर्शन की प्यास, गया लिए मिलन की आस
    प्रेम असीम मन मे भरकर, पहुँचा जब भी तेरे दर पर
    लौटा हूँ खाली हाथ प्रिये, अपमानित सा मैं हर बार
हमने तो चाहा था प्यार, हमेशा दिया तुमने तिरस्कार
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Monday, July 9, 2018

बाते यू ही बनाने से क्या फायदा

बाते यू ही बनाने से क्या फायदा
बुझे दीपक जलाने से क्या फायदा
मेरी राधा हुई रुक्मणी और की
अब बाँसुरी बजाने से क्या फायदा
सारे सच  तेरे है स्वीकार हमे
फिर सच को छुपाने से क्या फायदा
बात का असर  तुम पे तो होता नही
एक ही बात दोहराने से क्या फायदा
प्यार की तो कोई कद्र  ही नही
यू ही सबको जताने से क्या फायदा
ना कोई सवाल न कोई जवाब मिलता
नज़रे नज़रों से मिलाने से क्या फायदा
जिसको जरूरत नही रोशनी की "दीपक"
उसकी राहो में जल जाने से क्या फायदा

Monday, May 14, 2018

उखड़ती सांसो पर शरीर का कुछ उधार तो बाकी है

मेरे मन पर तेरे मन का कुछ अधिकार तो बाकी है
उखड़ती सांसो पर शरीर का कुछ उधार तो बाकी है
     जीवन के इस मोड़ पे जब मौसम पतझड़ का आया
      पीछे धूप जवानी की और आगे बुढ़ापे का साया
      जर्जर होती काया में फिर प्राण फूक दीये तुमने
      बरसो बन्द पड़े दर को तुमने धीरे से खटकाया
      मिटी सभी अभिलाषाएं, मन मे तेरा प्यार तो बाकी है
मेरे मन पर तेरे मन का कुछ अधिकार तो बाकी है
उखड़ती सांसो पर शरीर का कुछ उधार तो बाकी है
       उसी राह पर खड़ा हूँ जिस राह पर छोड़ गए थे तुम
       रस्मे निभाने को कसमे सारी तोड़ गए थे तुम
       वादा था हमराह बनने का थोड़ी दूर ही चल पाये
       जाने किस बात पे रुठे मुझसे मुँह मोड़ गए थे तुम
      बेचैन सी आंखों में अब भी तेरा इंतज़ार तो बाकी है
मेरे मन पर तेरे मन का कुछ अधिकार तो बाकी है
उखड़ती सांसो पर शरीर का कुछ उधार तो बाकी है

Friday, May 4, 2018

आदत हमेशा मुस्कुराने की

किस्से मोहब्बत के सबको सुनाने की
कोई रूठ भी जाये तो बार बार मनाने की
कितनी भी करो कोशिश न आयेंगे आंसू मेरे
मेरी बचपन से है आदत हमेशा मुस्कुराने की
बहुत सुंदर हो तुम इसी का गुरुर है तुमको
वजह और तो कोई नही मुझे ठुकराने की
कोई असर नही मेरी बातों का तुम पे होता
कोई तरकीब नही जग मे जागते को जगाने की
तेरे आने से खिल उठा था मेरा जीवन
अब तो  ऋतु रह गयी है बस मुरझाने की
निकलता दम तेरी बांहो में तो और बात होती
पड़ता नही फर्क वजह कुछ भी हो जान जाने की
आरज़ू दीपक के दिल की हवाये क्या जाने
उनको तो आदत है जलते चिरागो को बुझाने की

Wednesday, April 11, 2018

एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही

तेरा झूठ भी सच माना हमने करी दुनिया की परवाह नही
एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही
मेरी आँखें याद में तेरी अब भी झर झर बरसे
तेरे दरस को यार मेरे मेरी अब भी आंखे तरसे
कोई कितना भी खोजे पर मिलेगी  मेरे प्रेम की थाह नही
एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही
तुमसे मिलकर ये जाना तुम इस जीवन की डोर
तुमसे ही है सांझ मेरी औऱ तुमसे ही है भोर
तुझसे पहले खुली कभी किसी की खातिर मेरी बाँह नही
एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही
सारी दुनिया झूठी लागे तू लागे एक सच्चा
तुझसे प्यारा और कोई ना, ना कोई तुझसे अच्छा
इस प्रेम से सच्चा ना मंदिर इससे सच्ची कोई दरगाह नही
एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही
कितने भी हम दूर हो चाहे ना होती हो बात
तेरी याद से ही दिन निकले तेरी याद से हो रात
तेरी बांहो से हो अच्छी इस जग में ऐसी पनाह नही
एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही
तेरे प्रेम में जलता दीपक लौ तेरे संग बांधी
कुछ भी हो जाये अब न बुझेगा चाहे आये कितनी आंधी
जिस पथ मुझे तू न मिले अब चुननी मुझे वो राह नहीं
एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही

Friday, April 6, 2018

वक्त मुश्किल है लेकिन संभल जाएगा

वक्त मुश्किल है लेकिन संभल जाएगा
लेकर सवेरा नया फिर कल आएगा
डूबा नही हूँ बस लहरो में फंसा हूँ
रूख लहरो का प्रयासों से बदल जायेगा
बीच मझधार में यूँ न साथ छोड़ो मेरा
मेरी मेहनत से भाग्य बदल जायेगा
आंसू को कहो आंख से आये ना अभी
आंसू का क्या है खुशी में  निकल आएगा
माना दूर है बहुत मंजिल मेरी यारो
धीरे धीरे सही कट ये सफर जाएगा

Sunday, April 1, 2018

तुम कहते हो प्यार

कैसे तौलू क्या था वो, मिला जो तुमसे उपहार
तुम कहते हो प्यार उसे,और वासना कहे संसार
         साथ चले फिर भी न मिले ज्यो नदिया के किनारे
         अलग अलग थे फिर भी एक थे अपने भाग्य सितारे
         तुम्हारे अंतर में मैं था और मेरे अंतर में थे तुम
         किस्मत ने किया अलग हमे, बने अपने अलग सहारे
         बीते इतने बरस फिर भी, नही उतरा ये ख़ुमार
         तुम कहते हो प्यार उसे,और वासना कहे संसार
कैसे तौलू क्या था वो, मिला जो तुमसे उपहार
तुम कहते हो प्यार उसे,और वासना कहे संसार
         मन मिला, तन मिला, फिर मिली समाज की बाधा
        बहुत कम पाया हमने , और खोया बहुत ज्यादा
        सैकड़ो बेड़िया तोड़ी , तब मिला प्रेम का बंधन
        अपने इस  बंधन से समाज की टूटी सब मर्यादा
        तरह तरह के आरोप लगाये, भर भर के हुंकार
        तुम कहते हो प्यार उसे,और वासना कहे संसार
कैसे तौलू क्या था वो, मिला जो तुमसे उपहार
तुम कहते हो प्यार उसे,और वासना कहे संसार

Monday, March 19, 2018

मुस्कुराना आ गया

अपने सपनो को पंख लगाना आ गया
उस शर्मिली लड़की को मुस्कुराना आ गया
अपने गाँव को छोड़ के शहर क्या गयी
उसको सेल्फी के लिए मुंह बनाना आ गया
दुनिया की बाते जिसकी समझ से परे थी
उसको भी अब बातो में उलझाना आ गया
कंफ्यूज हो जाती थी जो चार क़दम चल कर
उसको भी लोगो को रास्ता दिखाना आ गया
पलकें झुका के जो हमेशा बात करती थी
जमाने से उसको नजरें मिलाना आ गया
डर है उसके दिल से मेरा प्यार न मिट जाये
शहर जा कर उसको पैसे कमाना आ गया

Sunday, March 11, 2018

कहने को लोक लाज नही

मेरा प्रेम नही आकर्षण  जो कल था और आज नही
रिश्ता है ये जीवन भर का , कहने को लोक लाज नही
      तुमसे ही बंधी मेरे इस जीवन की डोर,
      तुम्ही सांझ हो और तुम्ही ही हो  भोर
      तुम चाहे मानो  या फिर ना मानो
      तेरे सिवा इस दिल में नही बसा कोई और
      घर से निकलू और घर न लौटू
      ऐसी मेरी परवाज नही
रिश्ता है ये जीवन भर का , कहने को लोक लाज नही
       अपने जीवन के इतने साल
       संग मेरे बिताये तुमने हर हाल
       समझ सकी न कभी मुझको
       आंखों में रखे हमेशा सवाल
       अपनी बातें तुम पर थोपू
       ऐसा तो मेरा अंदाज नही
रिश्ता है ये जीवन भर का , कहने को लोक लाज नही
       माना मुझको प्यार जताना नही आता
       लोगो की तरह रिश्ते निभाना नही आता
       समझ नही है मुझको दुनिया दारी की
       पर रस्मे झूठी निभाना मुझको नही भाता
       कितना भी समझा लो मुझको
      आऊंगा मैं बाज़ नही
रिश्ता है ये जीवन भर का , कहने को लोक लाज नही
     

Tuesday, March 6, 2018

कुछ मुक्तक

दण्ड पे दण्ड हमको दीये जा रहे हो
किया क्या है हमने अपराध तो कहो
चूक क्या हो गयी है हमसे प्रेम में
उदाहरण कोई एक आध तो कहो

खुद को जलता हूआ छोड़ दिया हमने
कल उनसे नाता तोड़ दिया हमने
अब वो याद करे या न करे हमें
उनकी यादों से मुंह मोड़ दिया हमने

प्यार कितना भी हो वो जताते नही
हाल दिल का हमे वो सुनाते नही
प्यार उनका समझ ना आया हमे
रूठ भी जाएं हमको वो मनाते नही

यू तो होली में सब ने ही मला गुलाल
एक तूने ही ना लगाया, है यही मलाल
तुम उलझे रहे अपने ही कामो में
मेरी आँखें तरसती हुये करती रही सवाल

Sunday, February 25, 2018

प्रिये तुमको तब याद आएंगे हम

जलती राहो में जब होगी तपन
काँटो पे पड़ेंगे जब तुम्हारे कदम
प्रिये तुमको तब याद आएंगे हम
         अभी क्या अभी तो ये शुरुआत है
         जीवन से ये पहली मुलाकात है
          पैर है हवा में , आसमान की बात है
          जब ज़मी पर आने लगेंगे कदम
          प्रिये तुमको तब याद आएंगे हम
  राज दोस्तो के जब खुलने लगेंगे
अपनो से धोखे जब मिलने लगेंगे
  गिर कर खुद ही जब संभलने लगेंगे
शब्दो से किसीके जब होंगी आंख नम
प्रिये तुमको तब याद आएंगे हम
          ठोकरें मारेंगे जब माथे पे सवाल
           मस्तिष्क में उठेंगे अजब से बवाल
          भर जाएगा जब रेखाओ से कपाल
           धूप में कोसो दूर होगी पवन
           प्रिये तुमको तब याद आएंगे हम
संग तुम्हारे भी आज नही तो कल होगा
रीत यही, तुझ संग भी यही तो छल होगा
कद्र न होगी,  यद्यपि प्रेम तो निश्छल होगा
किसी झलक के बदले जब प्राण लगेंगे कम
प्रिये तुमको तब याद आएंगे हम

         

Saturday, February 17, 2018

लो चला आया मैं खाली हाथ प्रिये

पाने को तुम्हारा साथ प्रिये
लो चला आया मैं खाली हाथ प्रिये
    मुद्री, मिठाई न उपहार
    है तो बस बांहो का हार
    मेरी न बंगले गाड़ी की औकात प्रिये
पाने को तुम्हारा साथ प्रिये
लो चला आया मैं खाली हाथ प्रिये
    धन नही फिर कैसी बरखा
    मैं तो हमेशा प्रेम को तरसा
    हुई मुझपे न प्रेम बरसात प्रिये
पाने को तुम्हारा साथ प्रिये
लो चला आया मैं खाली हाथ प्रिये
     मन की सोई भावनाये जगायी
     मुस्काती सी तुम जीवन मे आयी
     अब दे दो मुझको प्रेम सौगात प्रिये
पाने तुम्हारा साथ प्रिये
लो चला आया मैं खाली हाथ प्रिये
    

 
   
        
     

      
     

Thursday, February 15, 2018

तेरे दर पे कबाड़ी आया

लोहा टीन प्लास्टिक बेच
जूते, चप्पल, इलास्टिक बेच
किताब कापियां रद्दी बेच
पुरानी चीजें भद्दी बेच
लेकर अपनी गाड़ी आया , तेरे दर पे कबाड़ी आया
मारी गयी जिसकी मति , बेच दो
कमाता नही तो पति, बेच दो
पुराने मोडल का टीवी,  बेच दो
नासमझ है तो बीवी, बेच दो
खरीदने पुरानी साड़ी आया, तेरे दर पे कबाड़ी आया
आपस मे चले जो बंदूक, बेच लो
जरूरत में न खुले वो संदूक, बेच लो
जंग खायी तलवार, बेच लो
अपने मन के विकार, बेच लो
बड़ा व्यापारी अगाडी आया, तेरे दर पे कबाड़ी आया
बजता नही तो बाजा बदल लो चूरण से
कायर है तो राजा बदल लो चूरण से
जनता लूट कर जो भरे बैंक बदल लो चूरण से
चुप है जवानों की लाशों पे टैंक बदल लो चूरण से
सबसे बड़ा जुगाड़ी आया, तेरे दर पे कबाड़ी आया

Saturday, February 10, 2018

जब मुस्कुराती है बड़ी प्यारी लगती है

जब मुस्कुराती है बड़ी प्यारी लगती है
तुम्हे देखकर मन की आशाये जगती है
        किस्मत से मिला हमको ये साथ तुम्हारा है
        मन के हर कोने में बस एक नाम तुम्हारा है
        तुमसे ही बंधी मेरे इस जीवन की डोर
        तुम्ही शाम मेरी तुम ही जीवन की भोर
        मेरे मन की हर इच्छा अब तुमपे मरती है
जब मुस्कुराती है बड़ी प्यारी लगती है
तुम्हे देखकर मन की आशाये जगती है
         मेरे सूने से जीवन को बहार किया तुमने
         मै ओट भी न पाया इतना प्यार दिया तुमने
         पत्थर के कमरों को तूने घर बनाया है
         गिरते हुए परिंदे को फिर पर लगाया है
         दो फूलो की क्यारी तेरी ही खुशबू से भरती है
जब मुस्कुराती है बड़ी प्यारी लगती है
तुम्हे देखकर मन की आशाये जगती है
          तेरा मेरा ये बंधन अब जन्मो का नाता है
          तेरे सिवा कोई और नही मुझको भाता है
          तू प्रेम की मूरत है तुझमे जान हमारी है
          तू ही प्राण है मेरे और प्राणों से प्यारी है
          तेरे मन मे प्रेम भरा प्रेम ही बांटा करती है
जब मुस्कुराती है बड़ी प्यारी लगती है
तुम्हे देखकर मन की आशाये जगती है
        
        

Monday, February 5, 2018

ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी


जाने कैसी ये अपनी तकदीर थी
ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
       तुझको मतलब था अपना मुझे अपना था
       था अलग लेकिन हम दोनो का सपना था
       तेरा दुख अलग था मेरी अलग पीर थी
       ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
तेरी मंजिल अलग थी मेरी ओर थी
कुछ पल को बंधी अपनी डोर थी
बड़ी प्यारी मगर उन पलों की तस्वीर थी
ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
       मैं रुक सकता था पर तुझे जाना था
       अपने सपनो को पूरा तुझे कर आना था
       प्रेम की राहों में यही जंजीर थी
      ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
तुझको जाते हुये ना मैंने टोका था
मुझको जाते हुये ना तूने रोका था
सुईया वक्त की थी या फिर तीर थी
ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी




Saturday, February 3, 2018

कुछ मुक्तक

ऑनलाइन वो भी रही मैं भी रहा रात भर
कोई शब्द उसने कहा न मैने कहा रात भर
दोनो तरफ था इंतज़ार एक दूजे के बोलने का
होता रहा बस यूं ही रतजगा रात भर

सूरजमुखी सी तुम मेरे अंतर में खिलती हो
प्राण बन तुम प्रिय मेरी सांसो में मिलती हो
कभी धुप कभी चांदनी, कभी रागिनी बनकर
रक्त सी मेरे तन की शिराओं में फिरती हो

अपने चेहरे की गर्द को आँसूओ से धो लेता हूँ
जब याद तुम्हारी आती है थोड़ा सा रो लेता हूँ
जब भी मुरझाती है सूखने लगती है ये
तेरे प्यार की कलियों के  नए बीज बो लेता हूँ

तुझे दूर जाने की जिद है मुझे पास आने की जिद है
तुझे मिटा देनी की जिद है मुझे मिट जाने की जिद है
जिद्दी तू भी है और मैं भी हूँ सब जानते है
तुझे रुठ जाने की जिद है मुझे तुझको मनाने की जिद है

अब तो कुछ बोल यूं गुमसुम ना रह
जवाब जो कुछ भी है खुल के कह
हम तो डूब ही चुके तेरी चाहत में
मेरे प्यार में कुछ दूर तू भी तो बह

Monday, January 29, 2018

दिल का हाल बताते कब तक

दिल का हाल बताते कब तक
उनके नाज़ उठाते कब तक
उनको गुरुर बहुत है खुद पर
उनके ख्वाब सजाते कब तक
जिन्हें प्यार की कद्र ही नही
उनको प्यार जताते कब तक
उनके सर पे नशा दौलत का
चन्दन प्रेम का लगाते कब तक
उनकी आंखें टिकी महलो पर
मन की बस्ती दिखाते कब तक
मेरे संग चलने में शर्म थी उनको
हमही अपना हाथ बढ़ाते कब तक
रौशनी की जरूरत ही नही उनको
"दीपक" खुद को जलाते कब तक

Friday, January 26, 2018

तुमको भूलूँ तो कुछ याद नही आता

तुमको भूलूँ तो कुछ याद नही आता
मेरे मन को क्यो कोई और नही भाता
             मन कि आंखों से भी उसको पढ़ नही पाया
             जिसे चाह न थी अपनो की उसे अपना बनाया
             उसके हर खेल को हम प्यार समझ बैठे
             वो तो दुश्मन भी न था हम यार समझ बैठे
             उससे कह दो तेरा फरेब अब सहा नही जाता
मेरे मन को क्यो कोई और नही भाता
तुमको भूलूँ तो कुछ याद नही आता
            तुमको पाला था मन में अरमानो की तरह
            और तुमको चाहा था हमने दीवानों की तरह
            तेरी चाहत कुछ और है अगर पता होता
            मन मेरा फिर न तेरे शब्ज ख्यालो में खोता
            तड़प ना होती तेरी, आंख से आंसू नही आता
मेरे मन को क्यो कोई और नही भाता
तुमको भूलूँ तो कुछ याद नही आता
             मन के पिंजरे में जिसको घुटन होती थी
             मीठे बोलो से भी जिसको चुभन होती थी
             उस पंछी को आज छोड़ दिया मैंने
             प्यार का हर नाता उससे तोड़ दिया मैने
             उड़ जाए अब कहीं वो, जहां उसका जी चाहता
मेरे मन को क्यो कोई और नही भाता
तुमको भूलूँ तो कुछ याद नही आता      
            

Monday, January 22, 2018

एक बार मुझे तुम बुलाना प्रिये

बात कोई दिल पे लग जाये
तुमको जब कभी नींद न आये
बिस्तर लगे कांटो की चादर
तकिया भी गीला हो जाये
             तब मुझको आवाज लगाना प्रिये
              एक बार मुझे तुम बुलाना प्रिये
जीवन के सफर में थक कर
बैठो जब तुम किसी पथ पर
दामन आशाओ का छूटे
निराशा बैठे कोई हठ कर
            तब मुझको आवाज लगाना प्रिये
            एक बार मुझे तुम बुलाना प्रिये
दूर तक न रोशनी दिखाई दे
शोर में न कुछ सुनाई दे
टूटे हर सपने की कड़ी
दिखाई न अपनी ही परछाई दे
            तब मुझको आवाज लगाना प्रिये
            एक बार मुझे तुम बुलाना प्रिये
आईना जब डराने लगे
अपने ही जब सताने लगे
काले केश स्वेत हो जाये
ताने कानो में घुल जाने लगे
           तब मुझको आवाज लगाना प्रिये
           एक बार मुझे तुम बुलाना प्रिये
उदासियों का अंधेरा हो
जब कुंठाओ ने घेरा हो
प्राण छोड़ने को जी चाहे
लगे बस अब ना सवेरा हो
            तब मुझको आवाज लगाना प्रिये
            एक बार मुझे तुम बुलाना प्रिये

Thursday, January 18, 2018

बेचैनीया ये फिर किसलिए किसके लिए है परेशान हम

           न तुमने कभी कोशिश की
           न हमने कभी बढाया कदम
           फिर क्यों दूरिया हम दोनो की
           होने लगी इतनी कम
            न तुम सोचते हो हमारे लिए
            न हम सोचते है तुम्हारे लिए
बेचैनीया ये फिर किसलिए किसके लिए है परेशान हम
      दिल मे तुम्हारे न कुछ राज है
      कोई बात न मेरे दिल में रही
      नजरे कभी न मिलायी है तुमने
      न मेरी नजर कभी तुम तक गयी
      तुम खोये रहे अपनी दुनिया मे
      और अपनी मेरी दुनिया रही
       न हीरो कभी तुमको मुझमे दिखा
       न तुम में दिखा मुझको मेरा सनम
बेचैनीया ये फिर किसलिए किसके लिए है परेशान हम
     यूँ तो बहुत सी बातें की तुमने
     मगर कोई  बात ना  कभी ऐसी कही
     जिसे देखकर मन हो जाता दीवाना
     कभी तेरी ऐसी ना अदाएं रही
     लुभाने की तुमको ना कभी सोची मैने
     कभी तेरी चुन्नी ना सर से गयी
     मैं भी हमेशा ही गुमसुम रहा
     तुझको भी मुझसे लगती थी शरम
बेचैनीया ये फिर किसलिए किसके लिए है परेशान हम
   

Monday, January 15, 2018

मुस्कुराते रहना तुम, मुझे गीत सुनाने है

मुस्कुराते रहना तुम, मुझे गीत सुनाने है
           कोयल बाग में जब कूकेगी
            मेरी निंदिया तब टूटेगी
           चिड़ियों की जब चल चल होगी
           मन मे तब कोई हलचल होगी
           प्यारी सुबह के कुछ मंजर
           आंखों से भुनाने है
मुस्कुराते रहना तुम, मुझे गीत सुनाने है
          सूरत तेरी, आंखों में भर लूँ
          हाथ तेरे, हाथो में धर लूँ
          सितारे तोड़ के मैं ले आउ
          उनसे तेरी माँग सजाऊ
         तेरी सांसो की  खुशबू से
         सपने महकाने है
मुस्कुराते रहना तुम, मुझे गीत सुनाने है